1. मेष:
ग्रहण की समाप्ति के बाद, स्नान करके मंदिर को साफ करें। एक लोटा जल में गुड़, रोली, चंदन डाल कर सूर्यदेव को चढाएं और श्री कृष्ण मंत्र ‘कृं कृष्णाय नम:’ का जाप करें।
गुड़ का दान करें।
2. वृषभ:
ग्रहण काल में अपनी राशि के स्वामी शुक्र को प्रसन्न करना आवश्यक है।
अतः ग्रहण के बाद सफेद चीजों का दान करें एवम् ‘शुक्र बीज मंत्र’ का जाप करें
3. मिथुन
अपनी राशि के स्वामी बुध के मंत्रों का जाप करें।
ग्रहणकाल के बाद गणपति को पांच केला चढ़ा दें तथा ‘ओम विनायक: नम:’ का जाप करें।
4. कर्क:
ग्रहणकाल की समाप्ति के पश्चात किसी निर्धन को दूध का दान करें।
चंदन या हल्दी का तिलक लगाएं तथा ‘ऊं नम: शिवाय’ का जाप करें।
5. सिंह:
ग्रहणकाल के पश्चात एक लोटा जल लेकर उसमें गुड़ मिलाएं तथा उसे सूर्य देव को चढ़ाएं।
सिंदूर का दान करें और ‘आदित्य ह्र्दय स्त्रोतम्’ पढ़ें।
6.कन्या:
ग्रहणकाल के समय बुध के मंत्रों का निरन्तर जाप करें तथा ग्रहण के पश्चात गौशाला में चारे का दान करें।
7. तुला:
ग्रहणकाल के दौरान शुक्र की पूजा करते हुए शुक्र बीज मंत्र ‘ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः’ का जाप करें।
ग्रहणकाल के पश्चात सफेद वस्तु का दान करें।
8. वृश्चिक:
ग्रहणकाल के समय सूर्य देव को जल चढ़ाएं। श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करने के साथ ही ‘ऊं विनायकः नमः’ का जाप करते हुए गणपति की आराधना करें।
ग्रहण के पश्चात दूध का दान करें।
9. धनु:
ग्रहणकाल के समय सूर्य देव को जल चढ़ाएं। विष्णु का पाठ करें तथा गुरू बीज मंत्र ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:’ और सूर्य बीज मंत्र ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः’ का जाप करें।
ग्रहणकाल के पश्चात किसी निर्धन को हल्दी दान करें
10. मकर:
ग्रहणकाल के समय शनि चालीसा, हनुमान मंत्र या हनुमान कवच पाठ, शनि बीज मंत्र का जाप करें। ग्रहणकाल के पश्चात किसी पीपल के पेड़ के नीचे सरसों का तेल चढाएं।
11. कुम्भ:
ग्रहणकाल के समय शनि चालीसा, हमनाम चालीस तथा शनि बीज मंत्र का जाप करें।
ग्रहणकाल के पश्चात पीपल के पेड़ के नीचे जल चढ़ाएं।
12. मीन:
ग्रहणकाल के समय विष्णु मंत्र तथा ‘ओम् नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें। मस्तक पर हल्दी का टीका लगाएं।
ग्रहणकाल के पश्चात किसी मंदिर में चने की दाल का दान करें।